"ये जिंदगी" इम्तिहान ले रही है
ऊंचे आसमान की उड़ान ले रही है,
ज़िंदगी इम्तिहान ले रही हैं
हंसते हंसते चलते कभी
हम आज आंसू में दबते गए
चहरे पे खुशियों की चादर कभी
हम आज यादों में दबते गए
जिम्मेदारियों के हिसाब ले रही है
ज़िंदगी इम्तिहान ले रही हैं,
ऊंचे आसमान की उड़ान ले रही हैं
ज़िंदगी इम्तिहान ले रही हैं
बुने हुए लम्हों के ख्वाब कभी,
ठहरी हुई उस धड़कन को लिए,
मायूस है इस सफ़र में सभी
आज सोचते हैं, बचपन के लिए
गांव में बना था मकान ले रही हैं
ज़िंदगी इम्तिहान ले रही हैं 2
ऊंचे आसमान की उड़ान ले रही हैं
ज़िंदगी इम्तिहान ले रही हैं
दादी मां की सुनते कहानी कभी,
आज हम खुद की कहानी लिखे,
मंजिले नही थी नहीं कुछ खबर
आज ठोकरों की जवानी लिखे
बाप की वो गिरवी दुकान ले रही हैं
ज़िंदगी इम्तिहान ले रही हैं
ऊंचे आसमान की उड़ान ले रही हैं
ज़िंदगी इम्तिहान ले रही हैं
रवि यादव, कवि
9571796024
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें